समस्तीपुर से बड़ी खबर: जननायक कर्पूरी ठाकुर की पोती को प्रशांत किशोर ने दिया टिकट, बिहार की सियासत में बढ़ी हलचल

- Reporter 12
- 09 Oct, 2025
मोहम्मद आलम
समस्तीपुर से बड़ी खबर: जननायक
समस्तीपुर।बिहार की राजनीति में जब-जब चुनाव की आहट होती है, तब-तब जननायक कर्पूरी ठाकुर का नाम गूंज उठता है। 37 साल पहले यह महान समाजवादी नेता इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी बिहार की सियासत की धड़कन बनी हुई है। अब एक बार फिर उनकी विरासत को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है—और इस बार कारण हैं प्रशांत किशोर
PK का ‘कर्पूरी कार्ड’ – मोरबा से उतारी जननायक की पोती
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जनसुराज पार्टी ने अपने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी हैं समस्तीपुर के मोरबा विधानसभा क्षेत्र की, जहां से डॉ. जागृति ठाकुर को टिकट मिला है।जागृति ठाकुर कोई आम नाम नहीं , वह महान समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की पोती हैं और उनके छोटे बेटे डॉ. वीरेंद्र नाथ ठाकुर की बेटी हैं। वहीं उनके चाचा रामनाथ ठाकुर जेडीयू के राज्यसभा सांसद और केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री हैं।
जननायक की विरासत अब पोती के कंधों पर
डॉ. जागृति ठाकुर बताती हैं कि दादा कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव और देवीलाल जैसे बड़े नेताओं ने सवाल उठाया था “जननायक की विरासत कौन संभालेगा?”तब उनके पिता वीरेंद्र ठाकुर ने अपने बड़े भाई रामनाथ ठाकुर को राजनीति में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। जागृति का दावा है कि उस वक्त लिखी उनके पिता की चिट्ठी आज भी उनके पास मौजूद है। अब वही विरासत वह खुद राजनीति में उतरकर संभालना चाहती हैं।
कर्पूरी ठाकुर — जिनसे सब लेना चाहते हैं नाता
कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति के ऐसे अध्याय हैं, जिनसे हर पार्टी अपनी पहचान जोड़ना चाहती है।
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार खुद को उनका राजनीतिक शिष्य बताते हैं।बीजेपी ने 2024 में उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर अपने करीब दिखाने की कोशिश की।कांग्रेस कहती है कि कर्पूरी ठाकुर ने अपनी राजनीति की शुरुआत उसी पार्टी से की थी,दरअसल, कर्पूरी ठाकुर की राजनीति जाति से ऊपर उठकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचती थी। यही वजह है कि आज भी उनका नाम हर चुनावी मंच पर सम्मान के साथ लिया जाता है।
कर्पूरी की सादगी, आज भी मिसाल
कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से आते थे और सादगी के प्रतीक माने जाते थे। एक किस्सा खूब चर्चित है —
मुख्यमंत्री रहते हुए अपने गांव की शादी में जब नाई नहीं आया, तो उन्होंने खुद अपने बेटे रामनाथ ठाकुर से कहा कि वह विवाह की रस्में निभाएं। जब बेटे ने संकोच किया, तो खुद कर्पूरी ठाकुर कलश उठाने लगे। लोगों ने कहा — “यही तो जननायक हैं!”
क्यों चर्चा में हैं PK का यह कदम
प्रशांत किशोर ने डॉ. जागृति ठाकुर को टिकट देकर न केवल कर्पूरी ठाकुर की विरासत से खुद को जोड़ा है, बल्कि नीतीश और लालू—दोनों के लिए एक राजनीतिक चुनौती भी खड़ी कर दी है।अब देखना यह है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार इस नई राजनीतिक चाल का कैसे जवाब देते हैं।
निष्कर्ष:
बिहार की सियासत में अब “कर्पूरी ठाकुर की विरासत” सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि 2025 के चुनावी रण का सबसे बड़ा मुद्दा बनती दिख रही है।
और जनसुराज का यह कदम बताता है — PK अब सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि समाजवाद की ज़मीन पर भी दांव खेलने उतर चुके हैं।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *